शनिवार, 13 अगस्त 2011

नैनीताल यात्रा

हाल में ही अपने कुछ दोस्तों के साथ नैनीताल जाना हुआ। दिल्ली से ट्रेन से हमलोग रात को करिब 10 बजे चले और सुबह होते-होते काठगोदाम स्टेशन पहूंच गए। दिल्ली की गर्मी से निकलने के बाद काठगोदाम में शितलहरी हवा से लिपटना बड़ा शुकून दे रहा था। ठंढ़ी ज्यादा होने के कारण सारे लोग कांप रहे थे पास के हीं दूकान में हमलोगों ने चाय पी कर..रानीखेत की ओर रुख किया। घने जंगल पहाड़ी सन्नाटो के बाद अचानक ही गिझन आबादी वाला शहर, अपने ढलाई वाली छतों के साथ जैसे दूर से उचकता हुआ महसुस होता है। काठगोदाम से वैसे रानी खेत की दूरी टैक्सी से करिब तीन घंटे लगते हैं। इस तीन घंटे का सफर बेहद रोमांचक रहा जैसे-जैसे हमलोग पहाड़ीनुमा रास्तों से होकर उपर की ओर जा रहे थे ऐसा लग रहा था की कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था। कई बार हमलोग टैक्सी में बात-चीत के दौरान आपस की बात सुनाई नहीं सुन पा रहे थे ।रानी खेत की ऊचाई करिब 6000 हजार फीट है। रानी खेत पहूंचने के बाद हमलोग अपने समान एक होटल में रखा और सारे लोग ट्रैकींग पर निकल गए। घनें जंगल में हमलोगों ने करिब 7-8KM तक चलते रहे....जंगल घना होने के कारण ड़र भी लग रहा था..पूरे दिन ट्रैकिंग करने के बाद अगले दिन हमलोग नैनीताल के लिए रवाना हो गए। रानी खेत से नैनीताल की दूरि टैक्सी से करिब 2 घंटे लगते हैं। नैनीताल में झील का निला पानी और दाईं ओर दूकानें, वाहनों की सरगर्मी,पैदल चलने वालों की भीड़ और दूकानों के भीतर से पहाड़ी दुशाले,मोमबत्तियां, लकड़ी के खुबसूरत खिलौने, रसोई और घर में इस्तेमाल आने वाली चीजें,तरह-तरह भोजन के ठिकानें, रेस्तरां फिछले चार दश्क में कुछ भी नहीं बदला।
ऐसा माना जाता है कि शंकर की प्रताड़ना के बाद जब सती ने उसी यज्ञ की अग्नि में स्वयं की आहुति दे दी तो शंकर क्रोध में आकर उस जलते शरीर को सारे ब्राह्मांड में लेकर गए। उसी शरीर का कुछ भाग छुट कर नैनीताल में गिरा, जहां आज भारत के चौंसठ शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ नैना देवी है। निकट में झील और ताल होने के कारण इस पर्वतीय क्षेत्र का नाम नैनीताल पड़ गया।

नैनीताल की भव्य पर्वत श्रृखंला और उसकी हरियाली के बीच नैनी झील का अपना ही गीत है। नैनीताल में विदेशी सैलानियों का अड्डा बन गया है और उत्तर पश्चिमी राज्यों और जिलों की नई पर्यटन राजधानी भी, इसे कह सकते हैं।

दरसल यहां भी सुंदरता ने ही पर्यटको को अपनी ओर खींचा और परि झीलों का संगीत ने और उन्हें और भी आकर्षित किया।

नैनी झील और आसपास की सुंदर वादियों मे पानी से जगमगाती और कई झीलों के कारण नैनीताल जिले को झीलों का शहर भी माना जाता है। इन पानी की झीलों की गहराई और झील की गहरी आंखों दोनों में डुबना-उतरना किसी भी शैलानी को रोमांचित करने के लिए काफी है। सर्दी के बर्फानी हवा और गर्मी में ठंडी बयार दोनों ही यात्रियों को तन-मन का स्पर्श करती है। जब कभी बादल नीचे झुकर झील के पानी का चुंबन लेने को उतरतें हैं तब सिहरा जाने वाले ओले भी तन-मन को भिगो जाते हैं। कुछ ऐसा ही बनाया है प्रकृति ने अपने साथ मनुष्य का सबंध।

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