पुष्कर मेला थार मरुस्थल का एक लोकप्रिय व रंगों से भरा मेला है। .वैसे तो इस मेले का खास आकर्षण भारी संख्या में पशु ही होता है। फिर भी पुष्कर में भ्रमण के लिए यहां स्थित 400 मंदिर हैं तथा जगह -जगह स्थित 52 घाट पुष्कर के खास आकर्षण हैं। बदलते दौर के चलते यहां देश विदेश से आये पर्यटकों के बीच क्रिकेट मैच, यहां के पारंपरिक नृत्य, गीत संगीत, रंगोली, यहां का काठ पुतली नृत्य आदि भी इस मेले के विशेष आकर्षणों में शामिल हैं। इस मेले में ऊंट अथवा अन्य घरेलू जानवरों की क्रय-बिक्री के लिए लाए जाते हैं। इसे ऊंटों का मेला भी कहा जाता है। इस मेले में पशु पालकों को अच्छी नस्ल के पशु आसानी से मिल जाते हैं। मेले के समय पुष्कर में कई संस्कृतियों का मिलन देखने को मिलता है। एक तरफ तो मेला देखने के लिए विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, तो दूसरी तरफ राजस्थान व आसपास के तमाम इलाकों से आदिवासी और ग्रामीण लोग अपने-अपने पशुओं के साथ मेले में शरीक होने आते हैं। मेला रेत के विशाल मैदान में लगाया जाता है। ढेर सारी कतार की कतार दुकानें, खाने-पीने के स्टाल, सर्कस, झूले और न जाने क्या-क्या। ऊंट मेला रेगिस्तान से नजदीकी को बताता है। इसलिए ऊंट तो हर तरफ देखने को मिलते ही हैं।
देशी -विदेशी सैलानियों को यह मेला इसलिए लुभाता है, क्योंकि यहां उम्दा जानवरों का प्रदर्शन तो होता ही है, राजस्थान की कला-संस्कृति की अनूठी झलक भी मिलती है। लोक संगीत और लोक धुनों की मिठास भी पर्यटकों को काफी लुभाती है। वैसे यहां सैलानियों के लिए मटका फोड़, लंबी मूंछ, दुलहन प्रतियोगिता जैसे कई कार्यक्रम भी मेला आयोजकों की तरफ से किए जाते हैं जो आकर्षण के केंद्र होते हैं। पुष्कर में कई संस्कृतियों का मिलन देखने को मिलता है। एक तरफ तो विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, तो दूसरी तरफ राजस्थान व आसपास के तमाम इलाकों से आदिवासी और ग्रामीण लोग अपने-अपने पशुओं के साथ मेले में शरीक होने आते हैं
यह दैनिक 'नया इंडिया' में प्रकाशित
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