हिमालय पर्वत की बर्फ से लदी ऊँची पर्वत चोटियाँ सदैव से ही यहाँ आने वाले पर्यटकों को आकर्षित एवं उत्साहित करती रही हैं। उत्तराखंड राज्य की भूमि से प्रमुख रूप से भारत वर्ष की दो अति पावन और पवित्र नदियाँ, गंगा और यमुना का उदगम हुआ है। इसी अलौकिक प्राकृतिक सुंदरता को निहारने की चाहत में हम उत्तराखंड जा पहुँचे। शहर की भागती-दौड़ती जिंदगी से दूर औली एक बहुत ही बेहतरीन पर्यटक स्थल है। ऊँचे-ऊँचे आसमान छूते सफेद चमकीले पहाड़, मीलों दूर तक फैली सफेद बर्फ की चादर, दूर-दूर तक दिखते बर्फीली चोटियों के दिलकश नज़ारे! नहीं भई... इसके लिए स्विट्ज़रलैंड जाने की जरूरत नहीं, ऐसी जगह तो हमारे पास भी मौजूद है। हम बात कर रहे हैं औली की, जो कि उत्तराखंड में है।
औली इन दिनों पर्यटकों के लिए सबसे पसंदीदा जगह बन गया है। प्राकृतिक सुंदरता से ओतप्रोत यह जगह भारत का सबसे लोकप्रिय टूरिस्ट प्लेस है। उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ के पास समुद्र तल से 9,000 फिट की ऊँचाई पर यह स्थित है। जोशीमठ से औली जाने के लिए दो रास्ते हैं: एक तो सड़क का और दूसरा रोपवे का। करीब चार किलोमीटर लंबे रोपवे से जाने पर इस जन्नत का नज़ारा और भी खूबसूरत हो जाता है। जोशीमठ से कुछ ही दूरी पर चिनाब झील है, इस स्थान तक पहुंचने के लिए घने जंगल और मखमली घास के मैदान से होते हुए जाना पड़ता है।
औली की तरफ पर्यटकों के रुख की सबसे बड़ी वजह स्कीइंग के लिए पहाड़ों के बेहतरीन ढलान हैं। ये ढलान दिसंबर के मध्य से अप्रैल तक सफेद कालीन जैसी बर्फ की मोटी चादर से ढकी रहती हैं। ढलानों पर जमीं बर्फ और ओक के जंगल स्कीइंग के दीवानों के दिल जीत लेते हैं। जिन लोगों ने कभी स्कीइंग करने या सीखने के अरमान संजोए रखे हों, उनके लिए यह बहुत अच्छी जगह है। यहाँ गढ़वाल मंडल विकास निगम ने स्की सिखाने की व्यवस्था की है। मंडल द्वारा 7 दिन के लिए नॉन-सर्टिफिकेट और 14 दिन के लिए सर्टिफिकेट ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग हर वर्ष जनवरी-मार्च में दी जाती है। नंदा देवी के पीछे सूर्योदय देखना एक बहुत ही सुखद अनुभव है। यह औली से 40 किमी की दूरी पर है। इसके अलावा, बर्फ गिरना और रात में खुले आकाश को देखना मन को प्रसन्न कर देता है।
पहुंचने के साधन:
चूंकि औली को अभी तक रेल–मार्ग और वायु–मार्ग द्वारा सीधे नहीं जोड़ा गया है, अतः इन दोनों साधनों द्वारा यहां तक नहीं पहुंचा जा सकता। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। वहां से सड़क–मार्ग द्वारा (बस या टैक्सी से) औली पहुंचा जा सकता है। जबकि सबसे निकटतम एयरपोर्ट देहरादून में है, जो औली से 279 किमी दूर है। टैक्सी और कैब देहरादून एयरपोर्ट से हमेशा उपलब्ध रहती हैं। वैसे, देश के हर प्रमुख शहर से ऋषिकेश सड़क–मार्ग द्वारा भी जुड़ा हुआ है। अतः बस, टैक्सी, या कार द्वारा देश के किसी भी भाग से औली पहुंचा जा सकता है।
बेहतर समय:
हालाँकि गर्मी के दिनों में औली में काफी मजा आता है, बरसात के मौसम में अनगिनत प्रकार के फूल–पौधे देखने को मिलते हैं, लेकिन इस स्थान की विशेषता और महत्ता को देखते हुए यहां दिसंबर के मध्य से अप्रैल तक की अवधि में आने पर यात्रा अधिक सार्थक होती है।
यहाँ ठहरने के लिए कहाँ रुके:
औली में रुकने के लिए क्लिफ टॉप रिसॉर्ट सबसे अच्छा स्थान है, जहाँ से आप नंदा देवी, त्रिशूल, कमेत, माना पर्वत, दूनागिरी, बैठातोली और नीलकंठ के बहुत ही सुंदर दृश्य का आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा, गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा डीलक्स झोपड़ियों के साथ बंगले की व्यवस्था की गई है, जहाँ एक दिन के करीब 700 रुपये का शुल्क लगता है।
यह दैनिक 'नया इंडिया' में प्रकाशित।