कहा जाता है की प्रकृति माँ सबसे सुन्दर होती है और मै वही सुन्दरता को अपनी आँखों से देखने की चाहत में भरतपुर उद्यान जा पहुंचे। प्रकृति के नज़ारे को करीब से देखने के लिए हम सब हमेशा लालायित रहते है, लेकिन इस नज़ारे को देखने के लिए समय निकालना आसान नहीं होता। कभी प्रकृति को देखने का मौसम नहीं है, तो कभी समय का अभाव। अगर आप भी बाघों और अपनी दुनिया में मस्ती करते अन्य जंगली जीव-जंतुओं को देखना चाहते हैं तो भरतपुर पक्षी अभयारण्य आपके लिए अच्छी जगह हो सकता है। केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान में प्रकृति और मानव इतिहास का नाता करीब 250 वर्ष पुराना है। सन् 1745 में गंभीर और बाणगंगा नदी के मिलन स्थान पर बनी छिछली जगह में भरतपुर के महाराजा सूरजमल ने बारिश के मौसम में बरसने वाले पानी पर अजान बांध बनवाया और प्राक्रतिक गहराई में पानी भरने से यह स्थान विकसित हुआ। यहां पर बाढ़ के कारण छिछला आर्द्र पारिस्थितिकीय तंत्र बना, जो विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों के लिए एक बेहतर निवास स्थान बन गया। नमभूमि वाला यह क्षेत्र रामसर स्थली भी है और इसे प्राकृतिक विश्व धरोहर भी घोषित किया गया है। भरतपुर शहर से दो किलोमीटर दूरी पर घाना पक्षी अभयारण्य पहले भरतपुर राजपरिवार की शिकारगाह हुआ करता था। इस स्थान को सन् 1956 में पक्षी अभयारण्य और सन् 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया, जबकि 1985 में इसे विश्व विरासत का दर्जा मिला। यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल सूची में शामिल केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान पक्षी संसार का स्वर्ग है तो पक्षी प्रेमियों का तीर्थ।पक्षियों की दुनियाँ भी वड़ी विचित्र होती है। यहप्रकृतिपदत्तसबसेसुन्दरजीवोंकीश्रेणीमेंआतेहैं। इनसे मानव के साथ रिश्तों की जानकारी के उल्लेख प्राचीनतम ग्रंथों में भी मिलते हैं। इसराष्ट्रीयउद्यानमेंसुंदरपक्षियोंके 375 सेअधिकप्रजातियोंकाबसेराहै।इनमेंसे 132 सेअधिकयहींपरअपनेपरिवारकोबढ़ातेहैं।यहांनकेवलदेशसे, बल्कियूरोप, साइबेरिया, चीनऔरतिब्बतसेभीपक्षीआतेहैं।मानसूनमेंयहांसाइबेरियाईबारहेडेडगूंज, कोमनक्रेन, चीनकाचायनाकूट, साइबेरियाईपिंकटेल, मंगोलियाईसोबलर, पेलिकन, श्रीलंकाईब्लेकनेकस्टॉर्कसहितसांभरकोभीदेखाजासकताहै।पक्षियोंकीप्रवासयात्राएंसबसेलंबी, चुनौतीभरीऔरविलक्षणहोतीहै।इनपक्षियोंकेप्रवास-यात्राओंपरजानेकेअनेककारणहैं, जिनमेंसेमुख्यहैंमौसममेंअसहनीयपरिवर्तनऔरभोजनकीकमी।प्रकृतिकीअनुपमदेनपंखोंकीसहायतासेवेसंसारकेएकक्षोरसेदुसरेक्षोरतकयात्रासुगमतापूर्वककरलेतेहैं।इनकीसबसेप्रसिद्धयात्राउत्तरीगोलार्द्धसेदक्षिणकीतरफकीहै।गृष्मकालमेंतोउत्तरीगोलार्द्धकातापमानठीक-ठीकरहताहै, परजाड़ोंमेंयेपूराक्षेत्रबर्फसेढ़ंकजाताहै।तापमानशून्यसेभीनीचेचलाजाताहै।इसक्षेत्रमेंपक्षियोंकेलिएखाने-पीनेऔररहनेकीसुविधाओंकाअभावहोजाताहै।ऐसीपरिस्थितमेंउनकाजीनामुश्किलहोजाताहै।फलतःवेआश्रयकीतलाशमेंगर्महिस्सोंमेंप्रवासकरजातेहैं।गर्मियोंमेंजबबर्फ़पिघलतीहैऔरवनस्पतियांउगनेलगतीहैंतोभरपूरभोजनऔरखुलेमाहौलकाआनंदउठानेयेफिरवापसलौटजातेहैं।पिछलेसालोकीतुलनामेंइससालविदेशीमेहमानोंकीसंख्यामेंथोड़ीकमीआईहैजिसकेकारणयहाँघुमनेआनेवालेसैलानियोंकीतादादकमहोगयीहै।जानकारोंकामाननाहैकिइसकेपीछेप्रमुखकारणग्लोबलवार्मिंगहै।मौसममेपरिवर्तनप्रवासीपक्षियोंकोरासनहींआताइसकारणवेअबमुंहमोड़नेलगेहैंजलवायुपरिवर्तनसेपक्षियोंकाप्रवासबहुतप्रभावितहुआहै।पहलेपूर्वीसाइबेरियाक्षेत्रकेदुर्लभपक्षीमुख्यतःसाइबेरियनसारसभारतमेंआतेथे।
जलस्रोतों के सूखने से उनके प्रवास की क्रिया समाप्त हो गई है। ये सुदूर प्रदेशों से अपना जीवन बचाने और फलने फूलने के लिए आते रहे हैं। पर हाल के वर्षों में इनके जाल में फांस कर शिकार की संख्या बढ़ी है। कई बार तो शिकारी तालाब या झील में ज़हर डाल कर इनकी हत्या करते हैं। माना जाता है कि उनका मांस बहुत स्वादिष्ट होता है तथा उच्च वर्ग में इसका काफ़ी मांग होती है। अब वे चीन की तरफ जा रहे हैं। हम एक अमूल्य धरोहर खो रहे हैं। पक्षियों के प्रति लोगों में पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देना चाहिए। पक्षी विहार से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। इसके अलावा काफी बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों को दखने पर्यटक आते हैं। घना में करीब 29 वर्ग किलोमीटर में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान पूरे साल सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक खुला रहता है। विदेशी पर्यटकों के लिए 200 रुपए और भारतीयों के लिए 25 रुपए प्रति व्यक्ति का टिकट है। यहां उद्यान में वाहन से शांति कुटीर तक जाने की व्यवस्था है, जो गेट से 17 किलोमीटर है। इसके लिए 50 रुपए प्रति वाहन शुल्क अलग से लगता है। यहाँ कैसे पहुंचे :- केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान दिल्ली से १७६ किमी और जयपुर से १७६ किमी की दूरी पर है. भरतपुर आगरा , दिल्ली और जयपुर से सड़क और रेल मार्ग से भी जुड़ा हुआ है. भरतपुर रेलवे स्टेशन से पार्क की दूरी ६ किमी है घुमने के लिए बेहतर समय: यह राष्ट्रीयन उद्यान पुरे साल घुमने वालो के लिए खुला रहता है लेकिन प्रवासी पक्षियों के देखने के लिहाज से नवम्बर से लेकर मार्च तक का महिना उपुक्त रहता है
1 टिप्पणी:
incredeble habitat for birds in south asia .
9hxvu
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