राहुल कुमार :
सिगरेट पीती लड़कियां आपने देखी होंगी। आपको क्या लगता है, ये लड़की लोग सिगरेट पीती क्यों हैं? उससे भी बड़ा सवाल - क्या उनको सिगरेट पीनी चाहिए?इस पर एक लंबी-चौड़ी बहस चल सकती है। वैसे कई लोग इस पर बहस करना भी नहीं चाहेंगे क्योंकि उनके लिए लड़कियों के सिगरेट पीने या न पीने से ज्यादा एंटरटेनिंग लड़कियों से ही जुड़ी दूसरी बातें हैं।अपन लोग भी यहां बहस नहीं करेंगे क्योंकि बहस होनी है तो इस पर हो कि सिगरेट पी जानी चाहिए या नहीं। इस पर नहीं कि मर्द तो सिगरेट पी सकते हैं लेकिन लड़कियां नहीं पीएं। देश-दुनिया में मर्दों का सिगरेट पीना इतना आम और स्वाभाविक टाइप है कि वे ऑफिस की व्यस्तता में बड़े आराम से और बिना किसी संकोच के कॉलीग्स से कहते हैं - आता हूं कुछ देर में। ये कह कर वे सीढ़ियां उतर कर चौड़े में सुट्टा मारते हैं और फिर ऊपर आकर 'व्यस्त' हो जाते हैं। इसे कहते हैं सुट्टा ब्रेक। लेकिन लड़कियां खुलेआम सुट्टा ब्रेक नहीं ले सकतीं। उन्हें सिगरेट पीने के लिए बहाने बनाने पड़ते हैं? ये वे बहाने हैं जो अभी यूनिवर्सिली अक्सेप्टेड भले ही न हुए हों, दिल्ली, मुंबई या भोपाल में एकाध परिवर्तन के साथ चलन में आते जा रहे हैं।
बहाना नंबर 1 - 'पैरेंट्स ने पॉकेट मनी कम कर दी है... मोबाइल बिल हर महीने बढ़ जाता है तो मैं क्या करूं? नेटवर्किंग अभी से नहीं करूंगी तो क्या बुढ़ापे में करूंगी? हद है...दिमाग भन्ना रहा है॥इन ओल्डीज को कौन समझाए यार॥ We do have some needs...ला यार, आज मैं भी एक पी ही लूं।' (करियर की जद्दोजहद में पड़ी युवा लड़कियों का अक्सर का बहाना। यह बहाना काफी पुराना है वैसे। हालांकि इस तरह के अब के चलन में होने न होने को ले कर पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता।)
बहाना नंबर 2- स्किन का ध्यान रखना चाहिए। कॉफी और चाय बार-बार नहीं पीनी चाहिए। ड्राई हो जाती है। होंठ भी काले होने लगते हैं। बार बार टी- कॉफी की तलब लगे तो क्या करूं? सिगरेट ही पी आती हूं।
बहाना नंबर 3 - जिन्दगी में कुछ बचा नहीं है जिसकी परवाह करूं। किसी से बात करने का मन नहीं करता। दरअसल, बात करने लायक लोग आसपास हैं ही कहां। हर कोई मतलब का यार है। किसी की चुगली करने से बेहतर है... अकेले कोने में जा कर सुट्टा लगाना।
बहाना नंबर 4 - सुबह-सुबह 'प्रेशर' नहीं बनता। पांच गहरे कश अंदर और....।बहाना नंबर 5 - टशन। (यह बहाना कम सच्चाई अधिक है। ग्लोबल परिप्रेक्ष्य में न लें, तो हर लड़की पहली बार स्मोक करते समय कहीं न कहीं इस टशन-इफेक्ट से प्रभावित होती है। जिन महिलाओं ने जीवन में केवल एक ही बार सुट्टा मारा है, उनसे पूछें तो वे इसी टशन-इफेक्ट की लपेट में आईं थीं। विमिन स्मोकर्स इस बात को खुले में कभी नहीं स्वीकारेंगी कि वे स्मोकिंग करते हुए टशन (स्टाइल) का खास ख्याल रखती हैं। )बहाना नंबर 6 - ऑफिस का सुट्टा ब्रेक। ये बगल में बैठा गंजा मोटा चोख्खा दिन भर सिस्टम पर मैट्रिमोनियल खंगालता है और सुट्टा ब्रेक ऐसे लेता है जैसे खूब काम करके आया हो...तो मैं (या हम) क्यों न लेकर आएं सुट्टा ब्रेक।
बहाना नंबर 7 - 'पुलिसवालों से अंदर की खबर लेनी होती हैं... क्राइम रिपोर्टिंग में बिंदास होना जरूरी है... बहन जी टाइप नहीं चलेगी... इसलिए दिन भर चाहे सिगरेट पिऊं या नहीं, पर दुनिया के सामने पीते हुए दिखना जरूरी है।'
बहाना नंबर 8 - आज बहुत टेंशन में हूं। अकेले बैठना चाहती हूं। कुछ देर। मैं और मेरी सिगरेट... ( यह बहाना जेंडर-न्यूट्रल है यानी मर्द भी इसका इस्तेमाल करते हैं लेकिन शराब पीने के लिए। अल्कोहल, स्मोकिंग और टेंशन का रिश्ता तो प्राचीनतम है। याद करें देवदास।)
बहाना नंबर 9 - 'इंक्रीमेंट हुआ है... बर्थडे है... एग्ज़ाम क्लियर हो गया... मूड मस्त है... बाल -बाल बचे रे'॥ आदि इत्यादि। (यानी, कोई भी ऐसी खुशी जो डाउटफुल थी।)
बहाना नंबर 10 - 'बहाना? वॉट रबिश। मुझे किसी बहाने की ज़रूरत नहीं। जब मन करता है, सुलगा लेती हूं। 'Am not a kid darling।'वाकई कई लोगों को कुछ भी करने के लिए किसी भी बहाने की जरूरत नहीं होती। जिन्हें होती है, वे देते होंगे। पर क्या आपने सोचा है कि महिलाओं को एक सिगरेट जलाते समय बहाना बनाने की जरूरत ही क्यों पड़ती है? आसपास के लोग उन्हें सिगरेट सुलगाते देख चुके होते हैं, फिर भी उन्हें क्यों एक्सक्यूज़ देना पड़ता है? कई बार तो ये एक्सक्यूज़ खुद से भी देती हैं लड़कियां... क्या इसलिए कि कहीं न कहीं अपराध या संकोच बोध जड़ा होता है मन में? मन में यह डर भी कि देखनेवालों की निगाह में अब वे अच्छी लड़की नहीं रहेंगी? यह अपराध या संकोच का भाव किसी पुरुष में कभी पैदा नहीं होता, जबकि, सिगरेट का हरेक कश एक औरत के लिए भी अस्वास्थ्यकर है और पुरुष के लिए भी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें