राहुल कुमार
सानिया मिर्जा के निकाह की खबर से बहुत दुखी थे कुछ लोग। इसलिए नहीं कि हर सिलेब्रिटी की शादी होने पर कई चाहने वालों के दिल टूट जाते हैं बल्कि इसलिए कि सानिया पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से निकाह कर रही है। उनका गुस्सा इस बात पर है कि पाकिस्तानी से निकाह क्यों। तो भई, जब इटली की सोनिया भारत के राजीव से शादी कर सकती हैं, जब इंग्लैंड की एलिजाबेथ हर्ली भारत के अरुण नैयर से शादी कर सकती हैं तो भारत की सानिया पाकिस्तान के शोएब से निकाह क्यों नहीं कर सकतीं?
यह सही है कि इस देश में बड़ी तादाद उन लोगों की है जो शादी और प्यार को जाति और धर्म से जोड़कर देखते हैं। वे लड़की नहीं देखते, लड़की की जाति देखते हैं, उसके बाप की औकात देखते हैं, भाइयों का ओहदा देखते हैं, दहेज़ की रकम देखते हैं और लड़कीवाले शादी पर कितना खर्च करेंगे, यह देखते हैं। कुछ लोग हैं कि बेटा या बेटी जाति से बाहर शादी कर ले तो उनका कत्ल कर देते हैं। तो ऐसे ही छोटी और दकियानूसी सोच वाले लोग अब सानिया से कह रहे हैं कि हम मर गए थे क्या जो एक पाकिस्तानी से निकाह कर रही हो?
भइया, क्या पाकिस्तान के किसी शख्स से रिश्ता जोड़ना गुनाह है? जो भी जंग है वह सियासी है और जब तक सियासत में बैठे लोग इसे नहीं सुलझाना चाहेंगे तब तक यह नहीं सुलझेगी। आम जनता दोनों देशों की एक-सी ही है।
कुछ लोग सानिया के हितैषी बनते हुए कह रहे हैं कि शोएब का कैरक्टर ठीक नहीं है। वे याद दिलाते हैं कि सयाली भगत से उनका अफेयर था और पहले भी एक लड़की ने उस पर शादी होने और बाद में छोड़ देने का आरोप लगाया था। तो जब सानिया को इससे दिक्कत नहीं है तो हम कौन होते हैं सवाल पूछने वाले? वैसे सानिया भी खुद एक सगाई तोड़ चुकी हैं, इसलिए उनको भी इससे कोई हिचक नहीं होनी चाहिए।
यह सानिया की निजी जिन्दगी है और उन्हें किससे निकाह करना है, किसके साथ अपनी जिंदगी गुजारनी है, यह उनका अपना फैसला ही होना चाहिए। लेकिन वे शायद भूल गए है कि निकाह सानिया का है न कि उनका अपना और जब सानिया और उनके परिवार वाले खुश हैं तो वे कौन होते हैं बवाल मचाने वाले? लेकिन जो लोग अपनी होनेवाली पत्नी का फैसला तक खुद नहीं करते और अपने मां-बाप पर छोड़ देते हैं, उन्हें यह कैसे हजम होगा कि एक लड़की अपने दूल्हे का फैसला खुद कर रही है।
कुछ का तर्क यह है कि सानिया सिलेब्रिटी हैं तो इसलिए उन्हें उदाहरण पेश करना चाहिए। तो क्या सिलेब्रिटी की कोई पर्सनल लाइफ नहीं होती? क्या उसको अपनी मर्जी से जीने का अधिकार नहीं है? और ऐसा हमारे देश में और एशिया के कुछ मुल्कों में ही क्यों होता है कि सिलेब्रिटी है तो उसकी पर्सनल लाइफ खत्म। अगर वह अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभा रहा है तो उतना हल्ला नहीं होगा पर उसकी पर्सनल लाइफ पर ताक-झांक कर लोग खूब हल्ला मचाते हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सार्कोजी अगर भारत में नेता होते और तब वह यहां की कार्ला ब्रूनी टाइप किसी मॉडल से शादी करते तो बस... यहां तो उनका पॉलिटिकल करियर तबाह ही हो जाता। लोग और मीडिया उन्हें चैन से जीने नहीं जीते। आखिर क्यों? हम क्यों नहीं अपनी मानसिकता बदलते? नेताओं का भ्रष्टाचार, घोटाला वगैरह तो सब चुपचाप बर्दाश्त कर जाते हैं, उन्हें दोबारा चुनकर भी लाते हैं मगर किसी की निजी जिंदगी में कुछ उथल-पुथल हुई नहीं कि सब उछल-कूद मचाने लगते हैं।
2 टिप्पणियां:
अच्छी प्रस्तुति। बधाई। ब्लॉगजगत में स्वागत।
इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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