मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025

बीते हुए साए और अनदेखे सपने

मनुष्य का मन अजीब होता है। यह सदा उन राहों पर भटकता रहता है, जिन पर चलना असंभव है। एक राह अतीत की ओर जाती है—जहां बीते हुए पल खंडहरों की तरह खड़े हैं, और दूसरी राह भविष्य की ओर, जो अब तक आकार भी नहीं ले सका। पर मनुष्य न जाने क्यों इन्हीं दोनों दिशाओं में भागता रहता है, जबकि वह खड़ा होता है वर्तमान में।

अतीत – एक खोया हुआ संसार

नुष्य के मन में सबसे पहली इच्छा आती है—अतीत को सुधारने की। वह उन पलों को फिर से जीना चाहता है, जो हाथ से फिसल चुके हैं। वह सोचता है, काश मैंने वह गलती न की होती ! , अगर मैं उस दिन अलग फैसला लेता तो आज मेरी ज़िंदगी कुछ और होती !  वह बार-बार अपने बीते हुए समय को टटोलता है, उसके रंगों को बदलने की कोशिश करता है, लेकिन क्या यह संभव है ?

अतीत अब केवल स्मृति बन चुका है। वह अब मात्र यादों की परछाइयों में जीवित है। जैसे कोई पुरानी किताब, जिसे बार-बार पढ़कर भी उसमें कुछ नया जोड़ा नहीं जा सकता। मनुष्य अपने अतीत की गलियों में भटकता रहता है, लेकिन वह यह भूल जाता है कि वहां अब कोई दरवाजा खुला नहीं है। जो बीत गया, वह एक बंद अध्याय है—जिसे बदला नहीं जा सकता, केवल समझा जा सकता है। लेकिन मनुष्य फिर भी उसी में उलझा रहता है, जैसे रेगिस्तान में पानी की तलाश कर रहा हो

भविष्य – एक अधूरी कल्पना

दूसरी ओर, मनुष्य का मन भविष्य को पकड़ने की कोशिश करता है। वह चाहता है कि हर चीज़ उसकी योजना के अनुसार हो, कि वह पहले से जान ले कि कल क्या होने वाला है। वह हर कदम को पहले से तय कर लेना चाहता है, ताकि कोई अनहोनी न हो, कोई दुःख उसे छू न सके। लेकिन क्या भविष्य को निश्चित किया जा सकता है?


भविष्य तो एक रहस्य है, एक खुला आकाश, जिसमें अनगिनत संभावनाएं हैं। हम चाहे जितनी योजनाएं बना लें, परंतु जीवन अपने ढंग से ही घटित होता है।

मनुष्य इसी भविष्य को बांधने की कोशिश करता रहता है, और इसी कारण बेचैन रहता है। जो अभी आया ही नहीं, उस पर अधिकार जताने की कोशिश करना मानो हवा को मुट्ठी में कैद करने जैसा है—जितनी जोर से पकड़ने की कोशिश करोगे, उतनी ही तेज़ी से वह हाथ से फिसल जाएगी।

वर्तमान – जीवन का एकमात्र सत्य

मनुष्य अतीत में खोया रहता है, भविष्य में डूबा रहता है, लेकिन वह यह भूल जाता है कि वह वास्तव में अब में खड़ा है। न वह बीते कल में सांस ले सकता है, न आने वाले कल को अभी छू सकता है। उसके पास केवल यह क्षण है—यही वास्तविकता है।

जो चला गया, वह केवल एक स्मृति है। जो आने वाला है, वह केवल एक संभावना है। लेकिन जो अभी है, वह सत्य है, जीवन है। जब मनुष्य इन दो असंभवताओं से मुक्त हो जाता है, तभी वह सच में जीने लगता है। यही जीवन का रहस्य है—अतीत की पीड़ा छोड़ो, भविष्य की चिंता मत करो, बस इस क्षण को पूरी तरह जी लो।