जिस तारीख को कभी फूलों से सजाया था,
आज वही बस स्क्रीन पर कोड बन के आया है।
कभी उम्मीदों की रोशनी में चमकता था,
अब बस उंगलियों के स्पर्श से खुल जाता है।
पहले इस दिन की धड़कनें तेज़ होती थीं,
अब कोई हलचल भी नहीं होती अंदर!
कभी दुआओं में नाम तेरा शामिल था,
अब बस एक भूला-बिसरा नंबर।
वक्त ने लम्हों के मायने बदल दिए,
यादें अब भी हैं, बस शक्ल बदल गई,
जो दिन कभी खास हुआ करता था,
आज बस एक पासवर्ड में बंद हो गई!