मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

ले जा सब ले जा

ले जा सब ले जा, सब तेरा है

ये जो रात है, ये जो मेरा सवेरा है
हाथ की हथेली से लकीर ले जा
मेरी ज़मीन, मेरा ज़मीर ले जा

72 से हुई 78 धड़कन
ले दिल-ए-अमीर ले जा
ले जा सब ले जा, सब तेरा है

जो ख्वाब अधूरे थे, पूरे कर ले
जो अश्क़ बहे थे, वो चुरा ले
जो लफ्ज़ सिमट न सके होंठों पर
उनको भी हवाओं में उड़ा ले

मेरी उदासियों का सवेरा ले जा
दिल की हर बात का बसेरा ले जा
जो धूप से जलती थी खिड़कियाँ
उन पर छाई हुई शाम ले जा

ले जा सब ले जा, सब तेरा है
ये जो साँस है, ये जो मेरा बसेरा है
जो बाकी था, अधूरा था
वो आखिरी मुकाम ले जा

अब न कुछ मेरा, न कुछ तेरा
अब जो भी है, वो बस हवा का डेरा
उसी में मेरी पहचान घुली
ले जा सब ले जा, सब तेरा है...